एक अधूरी रात हो
One Hindi Poem by Sankha Ranjan Patra
एक अधूरी रात हो तुम मेरे साथ हो
समय शायद ठहर जाए एक अधूरी बात हो
जो तुम्हारे ख्वाब हो ओ मेरे साथ हो
समय शायद बोल जाए जो हमारे बीच हो।
एक अधूरी रात हो तुम मेरे साथ हो
दिल शायद छू जाए तुम्हारे बात को
जो तुम्हारे मन हो ओ मेरे पास हो
दिल शायद छू जाए तुम्हारे बात को।
एक अधूरी रात हो तुम मेरे साथ हो
चाँदनी भी खिल जाए जैसे कोई मित हो
हजारों में तारे हो प्यार का कोई गीत हो
उस को ओ गाता जाए जैसे कोई रीत हो।
एक अधूरी रात हो तुम मेरे साथ हो
हम दोनों खो जाए एक अधूरी रात को
एक खुला आसमान हो फूलों के विस्तर हो
हम दोनों शो जाए एक अधूरी रात को।
संख रंजन पात्र भारत के एक द्विभाषी कवि हैं। वह अंग्रेजी और बांग्ला दोनों में लिखते हैं। उन्होंने कई संकलनों में योगदान दिया है। हर कवि उन्हें लिखने और विचारों को व्यक्त करने के लिए बहुत प्रेरित करता है। उनकी प्रकाशित पुस्तकें म्यूज़ (2020), म्यूट (2021) हैं।