तुम मेरे हो जाओ
इतना क्या मजबूरी है
तुमसे बात करना ज़रूरी है,
इतना क्या मजबूरी है
तुमसे आँखें मिलाना ज़रूरी है,
मेरे दिल में हाथ रखकर देखो
धड़कन सब तुम्हारी है।
मुझे तुमको देखना है
तुम नदी की तरह मुस्कुराओ ,
मुझे तुमको देखना है
तुम गुलाब की तरह खिलजाओ ,
तब ही तो मेरा यह दिल बेचारा
ख़बो में बोले आ जाओ।
तुम रोशनी की तरह बिखर जाओ ,
सूरज की तरह मेरे अंदर
हसला बानके समाजाओ,
चाँदनी की तरह मेरे अंदर
शांति बनके शो जाओ,
तुम रोशनी की तरह बिखर जाओ।”
संख रंजन पात्र भारत के एक द्विभाषी कवि हैं। वह अंग्रेजी और बांग्ला दोनों में लिखते हैं। उन्होंने कई संकलनों में योगदान दिया है। हर कवि उन्हें लिखने और विचारों को व्यक्त करने के लिए बहुत प्रेरित करता है। उनकी प्रकाशित पुस्तकें म्यूज़ (2020), म्यूट (2021) हैं।