वाणी प्रकाशन ग्रुप, नयी दिल्ली द्वारा हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में आयोजित छह दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन भारतीय परम्परा व साहित्य के विद्वानों के बीच आज किया गया। इस मौक़े पर बोलते हुए मुख्य अतिथि, अधिष्ठाता महाविद्यालय विकास परिषद्, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रो. पंकज कुमार ने कहा कि पुस्तकें न केवल बुद्धि का परिष्कार करती हैं बल्कि व्यक्तित्व का भी निर्माण करती हैं। इस अवसर पर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कृपा शंकर पाण्डेय ने कहा कि पुस्तकें ही व्यक्ति की सच्ची मित्र होती हैं। पूर्व अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा कि सभी छात्रों को नयी-नयी पुस्तकों का अध्ययन और अनुशीलन करना चाहिए। पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन महाविद्यालय विकास परिषद् के अधिष्ठाता प्रो. पंकज कुमार एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कला संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी जी ने फ़ीता काटकर किया। इस अवसर पर सैकड़ों छात्र-छात्राओं सहित विभाग के प्राध्यापकों की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण रही। उद्घाटन के इस अवसर पर हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. शिव प्रसाद शुक्ला, डॉ. सन्तोष भदौरिया, डॉ. लालसा यादव, डॉ. राजेश कुमार गर्ग, डॉ. राकेश सिंह, डॉ. भूरेलाल, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. शिव कुमार यादव, डॉ. विजय कुमार रबिदास सहित अनेक प्राध्यापकों और छात्रों की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। यहाँ साहित्य, संस्कृति, इतिहास, समाजशास्त्र, बाल-साहित्य के साथ ज्ञान-विज्ञान की अन्य पुस्तकें भी उपलब्ध हैं।
साहित्य, समाजशास्त्र, इतिहास व स्त्री विमर्श की पुस्तकों के साथ-साथ LGBTQ+ और पर्यावरण पर आधारित पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। हाल ही में प्रकाशित हुई प्रवीण कुमार झा की पुस्तक ‘रूस, रशिया और रासपूतिन : ज़ारशाही का इतिहास’, अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा सम्पादित ‘संकट में खेती : आन्दोलन पर किसान’, अरुण कुमार त्रिपाठी की ‘तालिबान की वापसी : अफ़ग़ानी जिहाद बनाम अमेरिकी आज़ादी’ पुस्तकों पर भारी छूट। साथ ही उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख की पुस्तक ‘Courts & Hunger’, उत्तर प्रदेश सरकार की केबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी द्वारा रचित ‘हेमवती नन्दन बहुगुणा : भारतीय जनचेतना के संवाहक’, इस पुस्तक का अंग्रेज़ी अनुवाद ‘Hemvati Nandan Bahuguna : A Political Crusader’ अजय के. राय द्वारा किया गया है। वरिष्ठ पर्यावरणविद् शेखर पाठक की पुस्तक ‘दास्तान-ए-हिमालय’ (दो खण्डों में), एस. आर. हरनोट का उपन्यास ‘नदी रंग-जैसी लड़की’, राजेन्द्र दानी का आख्यानपरक उपन्यास ‘जिसका अन्त नहीं’ के साथ विभिन्न विषयों की पुस्तकें उपलब्ध हैं।
पुस्तकें जीवन-जगत से जुड़ने का मूर्त माध्यम हैं। पुस्तकें ही मनुष्य को कल्याणकारी, ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ जैसे विश्वव्यापी ज्ञान से अवगत कराती हैं। पुस्तकें ही एक भाषा को दूसरी भाषा से, एक देश को अन्य कई देशों से जोड़ने का कार्य करती हैं। पुस्तक प्रदर्शनी जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक-शैक्षणिक कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए जिससे पाठक का पुस्तकों से अटूट सम्बन्ध बना रहे।
वाणी प्रकाशन ग्रुप पहले भी ऐसे कार्यक्रम करता रहा है। इससे पूर्व ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी’ एवं ‘महिला महाविद्यालय, बी.एच.यू.’ में भी भव्य पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। जिसे शिक्षित पाठक वर्ग ने ख़ूब सराहा था।
वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का प्रसार, संस्कृति की श्रीवृद्धि, ऐतिहासिक चेतना, व्यक्तिगत व सामूहिक बौद्धिक जागृति, मानवीय संवेदनाओं का सकारात्मक निर्माण, समाज के प्रत्येक वर्ग और उनमें भी विशेषकर युवाओं में पठन-पाठन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना है।