प्रेम! तुम्हारी जय हो।
मन में बेचैनी है काफी
फिर बसंत आएगा क्या
तरह–तरह के प्रेम रंग से
मन को महकाएगा क्या?
पुष्प वाटिका की सुंदरता
मन को प्रतिपल हर्षाती है
इस वसंत की आभा सुरभित
सब प्रेम–प्रेम कर जाती है।
यह वसंत प्रेम…
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