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तुम मेरे हो जाओ, One Hindi Poem by Sankha Ranjan Patra

तुम मेरे हो जाओ इतना क्या मजबूरी है तुमसे बात करना ज़रूरी है,  इतना क्या मजबूरी है तुमसे आँखें मिलाना ज़रूरी है, मेरे दिल में हाथ रखकर देखो धड़कन सब तुम्हारी है। मुझे तुमको देखना है तुम नदी की तरह  मुस्कुराओ  , मुझे तुमको…
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कविता: फरक यति हो by अभिराज खाती अन्जान, with its English Translation by Sushant Thapa

कविता           फरक यति  हो म जाहाज चडेर परदेश गएको मान्छे फर्किदा पनि जाहाज नै चडेर फर्किएको छु फरक यति मात्रै हो जादा सिटमा बसेर रमाइला दृश्यहरु हेर्दै मिठा मिठा खानेकुरा खादै  रमाइला गफ गर्दै। उज्ज्वल…
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